राजधानी के समरहिल क्षेत्र के शिव बावड़ी में आपदा के एक साल बाद भी हालात बदले नहीं हैं। बीते साल 14 अगस्त को हुए भूस्खलन में यहां 20 लोगों की जान चली गई थी। रिहायशी इलाका न होने के कारण आपदा के बाद प्रशासन ने इस इलाके की सुध नहीं ली है। हालत यह है शिव बावड़ी के नाले में अभी तक मलबा पड़ा है। पैदल रास्ता भी बंद है। कई पेड़ झुके हैं, जो कभी भी ढह सकते हैं। मलबे में तबदील हो चुके पूरे इलाके में पौधरोपण तक नहीं किया गया है। वहीं रेलवे ट्रैक की मरम्मत के दौरान भी जो मलबा निकला, उसे भी इसी नाले में डंप कर दिया गया है। इससे यहां प्राकृतिक जलस्रोत भी दब गया है। इसका पानी स्थानीय लोग पीने के लिए भरते थे। ऐतिहासिक शिमला-कालका रेलवे ट्रैक पर भी कई पेड़ खतरा बनकर मंडरा रहे हैं।
आपदा के कारण ढही लोअर समरहिल, एचपी यूनिवर्सिटी की सड़कों पर डंगे लगाने का काम अब बरसात में हो रहा है। यहां लगातार भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। समरहिल-बालूगंज सड़क का भी मरम्मत कार्य नहीं हो पाया है। केंद्रीय लोक निर्माण विभाग बारिश में डंगा लगवाने का काम करवा रहा है। मौके पर काम की रफ्तार इतनी सुस्त है कि इसका निर्माण अगले साल ही पूरा हो पाएगा। काम के नाम पर इस क्षेत्र में रेलवे ट्रैक की बहाली के अलावा शिवबावड़ी सड़क से मलबा हटाया गया है।
मंदिर का दोबारा निर्माण शुरू
मंदिर का दोबारा निर्माण शुरू हो गया है। मंदिर अब नए भवन के पास बनाया जा रहा है। यह निर्माण खुद मंदिर प्रबंधन करवा रहा है।
दोबारा भूस्खलन का मंडरा रहा संकट
हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला, सीएसआईआर-केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान रुड़की, वैज्ञानिक और नवीन अनुसंधान अकादमी (एसीएसआईआर) गाजियाबाद के वैज्ञानिकों ने क्षेत्र में आपदा के बाद शोध किया था। उनकी रिपोर्ट के अनुसार शिव बावड़ी क्षेत्र के ऊपर तलछट्टी चट्टानें हैं और कम गहरी फाल्ट लाइन है। इलाके में मलबा होने के कारण भारी बारिश से यहां दोबारा भूस्खलन हो सकता है।
इस क्षेत्र में नगर निगम की जो संपर्क सड़कें हैं उन्हें डंगे लगाकर बहाल कर दिया है। सभी रास्ते भी दुरुस्त कर दिए हैं। कुछ सड़कों पर केंद्रीय लोक निर्माण विभाग डंगे लगा रहा है- राजेश ठाकुर, अधिशासी अभियंता, नगर निगम