16वें वित्त आयोग ने शिमला में सरकार के साथ की बैठक, राज्य ने आपदा में अनदेखी का मामला उठाया

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16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा है कि आयोग के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) आयोग के लिए एक मुद्दा है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश सरकार ने 15वें वित्तायोग ने आपदा में अनदेखी की बात की है। इस विषय को भी देखा जाएगा। सभी राज्यों का अध्ययन करने के बाद ही राज्यों के लिए केंद्रीय मदद पर विचार किया जाएगा। अभी आयोग शुरुआती दौर का अध्ययन कर रहा है। पनगढ़िया रविवार को राज्य अतिथि गृह पीटरहॉफ शिमला में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर आयोग के चार सदस्य और सचिव भी उपस्थित रहे। इससे पूर्व आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों ने मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और उनकी कैबिनेट के मंत्रियों से भी विचार-विमर्श किया। राज्य सरकार ने 90 स्लाइड्स की प्रस्तुति दी। इसमें हिमाचल प्रदेश के विभिन्न मुद्दों पर बात की। पिछले 15वें वित्तायोग की ओर से हिमाचल प्रदेश के हितों की अनदेखी करने का मामला उठाया। राजस्व घाटा अनुदान और आपदा राहत के लिए पर्याप्त मदद नहीं करने पर बात की। अब शाम के वक्त आयोग के प्रतिनिधि राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से भी चर्चा करेंगे। उनकी विभिन्न मुद्दों पर राय लेंगे।

आयोग आगामी पांच वर्षों के लिए आर्थिक मदद पर एक रिपोर्ट तैयार करेगा। 1 अप्रैल 2026 से वित्त आयोग की सिफारिशें लागू होनी हैं। वित्त आयोग की सिफारिशों के तहत ही राज्यों के लिए राजस्व का वितरण होता है। प्रदेश में अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया सहित वित्त आयोग की 13 सदस्यीय टीम शिमला आई है, जिसमें सदस्य डॉ. मनोज पांडा, अजय नारायण झा, एनी जॉर्ज मैथ्यू, डॉ. सौम्या कांति घोष, सचिव रित्विक पांडे, संयुक्त सचिव राहुल जैन, संयुक्त निदेशक अमरूथा, उप निदेशक मानस वाजपेयी, सहायक निदेशक कुलदीप सिंह मीणा, सहायक निदेशक आनंद कुमार सिंह और निजी सचिव कुमार विवेक शामिल हैं। आयोग के सदस्यों की एक टीम 25 जून को सोलन जाकर वहां स्वयं सहायता समूहों के लोगों से मुलाकात करेगी। वित्त आयोग के अध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढ़िया धर्मशाला जाएंगे। उसके बाद आयोग नई दिल्ली रवाना होगा। 


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