
हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड 12वीं कक्षा का वार्षिक परिणाम संशोधित करेगा। दो दिन बाद संशोधित परिणाम जारी होगा। विभिन्न शिक्षक संगठनों, निजी स्कूल संघ, अभिभावकों की ओर से अंग्रेजी विषय में कम अंक आने की शिकायतें मिलने के बाद बोर्ड यह फैसला लिया है। शिक्षा बोर्ड के सचिव डॉ. मेजर विशाल शर्मा ने मंगलवार को धर्मशाला में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि जांच में पाया गया है कि मानवीय भूल के कारण 8 मार्च को रद्द अंग्रेजी विषय के पेपर की उत्तर कुंजी स्कैन हो गई थी, जिसके चलते दोबारा लिए गए पेपर की उत्तर कुंजी रह गई और रिजल्ट में एमसीक्यू के करीब 16 अंक नहीं जुड़ सके।
शर्मा ने कहा कि बोर्ड को खेद है कि इस तरह की गलती से विद्यार्थियों को परेशानी हुई। कहा कि दो दिन बाद अंग्रेजी विषय का संशोधित परिणाम जारी किया जाएगा। संशोधित परिणाम में अधिकतर विद्यार्थियों के अंक बढ़ेंगे। पहले से घोषित परिणाम के अंकों को कम नहीं किया जाएगा। पास प्रतिशतता भी बढ़ेगी। फाइनल मेरिट लिस्ट भी जारी होगी, क्योंकि अभी अस्थायी मेरिट लिस्ट जारी हुई है। उन्होंने कहा कि मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने भी अंग्रेजी विषय में कम अंकों का मामला उठाया था।
बता, दें हिमाचल में 7 मार्च को 12वीं कक्षा की 8 मार्च को प्रस्तावित अंग्रेजी विषय की परीक्षा रद्द कर दी गई थी। चंबा जिले के चुवाड़ी में दसवीं कक्षा के स्थान पर 12वीं कक्षा के अंग्रेजी विषय के प्रश्नपत्रों का बंडल खोल दिया था। मामला पता चलने के बाद शिक्षा बोर्ड ने परीक्षा रद्द कर दी है। इसके बाद अंग्रेजी विषय दोबारा परीक्षा ली गई। लेकिन परीक्षा परिणाम बोर्ड स्टाफ की गलती से रद्द पेपर के आधार पर तैयार किया गया। रिजल्ट घोषित हुआ तो सवाल उठने लगे। मामले में बोर्ड ने जांच बैठाई। जांच के बाद अब संशोधित परिणाम जारी करने का फैसला लिया गया।
वहीं, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के पूर्व प्रांत महामंत्री डॉ. मामराज पुंडीर ने कहा कि अंग्रेजी पेपर में बच्चों के नंबर आने पर हैरानी जताते हुए कहा कि जिस बच्चे ने बोर्ड में टॉप किया है, उसके भी 90 नंबर है। पुंडीर ने मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री, बोर्ड सचिव से मांग की थी कि अंग्रेजी के पेपर की दोबारा जांच करवाई जाए, ताकि बच्चों के साथ न्याय हो सके। यह संभव नहीं है कि जिस बच्चे के बाकि सभी विषयों में 100 अंक आए हो, वह अंग्रेजी में 80 अंक भी ना पहुंच सके।